मिले इस बेशकीमती मनुष्य शरीर की कीमत न समझे तो शरीर को भी तकलीफ़ और शरीर छूटने के बाद जीवात्मा को भी मिलती हैं नर्कों में भारी सजा : बाबा उमाकान्त जी महाराज

  • मूर्तियां अगर बोलने लग जाए कि गलत काम करके हमारे सामने आओगे तो सजा दे देंगे तो कोई जाएगा ही नहीं

 उज्जैन (मध्य प्रदेश)। पानी में लाठी मारने के समान इस दुनिया और इसकी चीजों को प्राप्त करने में ही अपने अमूल्य मानव जीवन को निरंतर खोने वालों को बार-बार बारंबार अलग-अलग तरीकों से बताने, चेताने, समझाने वाले इस समय के महापुरुष, पूरे सन्त सतगुरु बाबा उमाकान्त जी महाराज ने उज्जैन आश्रम पर नव वर्ष कार्यक्रम में 31 दिसंबर 2021 को दिए व यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित सतसंग में बताया कि यह मनुष्य शरीर चाहे राजा का हो या सेठ-साहूकार या प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति का या किसी का भी हो, आत्मा निकल जाने के बाद सबके शरीर को लोग मिट्टी ही कहते हैं। ले जाकर श्मशान घाट में जलाकर राख कर देते हैं, सारी जीवन लीला खत्म हो जाती है। मानुष जन्म बड़ा अनमोल। आपको ये जो मनुष्य शरीर मिला है, यह अनमोल है। इसकी कोई कीमत नहीं है। इसे क्यों बेशकीमती कहा गया? क्योंकि इसको कोई बना नहीं सकता।

मूर्तियां सोने की हो या पत्थर की इसमें तत्व नहीं आ सकते, प्राण नहीं डाल सकता कोई

मिट्टी या सोने का पुतला भले कोई बना दे लेकिन इसमें जान नहीं भर सकता। शरीर में जो तत्व हैं, वो तत्व नहीं आ सकते, प्राण इसमें कोई नहीं डाल सकता। कहने को तो लोग प्राण प्रतिष्ठा कर देते हैं, मूर्तियां बना देते हैं, स्थापना कर देते हैं मंदिरों में, मान्यता दे देते हैं लेकिन वह मूर्तियां कोई बोलती है? या डोलती हैं? कुछ कहती-करती हैं? कुछ नहीं। स्वार्थ में आदमी मूर्तियों के सामने बढ़िया-बढ़िया बना करके रख करके उठा करके खा लेता है। मूर्तियां अगर कहने लग जाए कि यह थाली रख दे, मत ले जाना तो बनाने के बाद आदमी अपने लिए पहले निकाल करके रख लेगा। आज का स्वार्थी आदमी तब मूर्तियों को भोजन कराने ले जाएगा? नहीं ले जाएगा।

मूर्तियां अगर बोलने लग जाए कि चोरी-व्यभिचार करके, मांस-शराब खा-पीकर हमारे सामने आओगे तो काट देंगे गर्दन तो कोई जाएगा ही नहीं

मूर्तियां अगर कहने लग जाए कि मेरे सामने तुम कोई अपराध करके नहीं आओगे, शराब पीकर, चोरी-व्यभिचार करके, छल-कपट, लूट-खसोट करके नहीं आओगे, अगर आओगे तो देख लो चक्र हमारा चल जाएगा, यह गदा हमारा तुम्हारे ऊपर पड़ जाएगा, दुर्गा जी अगर बोलने लग जाए कि तुम अगर इस तरह के नालायक आदमी हो, मेरे सामने आओगे तो तलवार से तुम्हारी गर्दन काट दूंगी तो बहुत से लोग अभी मंदिरों में जाना बंद कर देंगे।

इस प्रभु के बनाए हुए मानव-मंदिर में होता है देवी -देवताओं का दर्शन

प्रेमियों! यह प्रभु का बनाया हुआ मानव मंदिर है। आप मंदिर बनाते हो पूजा करने के लिए। उसने तो आपको बना बनाया, मंदिर दे दिया। इसी में भगवान का दर्शन होता है। इसी में देवी-देवताओं का दर्शन होता है। इसी में भाव-भक्ति के अनुसार फायदा लाभ मिलता है। अब यह जरूर है कि जो जीना, खाना, संयम-नियम से रहना, पूजा -उपासना करना सीख जाते हैं उनको तो लाभ मिल जाता है। और जो नहीं सीख पाते हैं वह दु:ख झेलते रहते हैं।

अगर मनुष्य शरीर की कीमत न समझे तो शरीर को भी तकलीफ़ और शरीर छूटने के बाद जीवात्मा को भी मिलती हैं नर्कों में भारी सजा

देखो, शरीर रहते हुए भी दु:ख मिलता है। अभी ज्यादा खालो तो पेट फूलने का दर्द, तकलीफ होगी। अभी लड़ाई-झगड़ा, मारपीट कर लो, तुम चार मारोगे तो एक-दो तो वो भी मारेगा। उस समय नहीं मार पाएगा तो फिर हमला करेगा। जब दोबारा हमला करेगा तैयारी करके तो हाथ-पैर तोड़ देगा। क्या मालूम जान ही चली जाए। तो तकलीफ शरीर से भी झेलते हैं और आत्मा भी फंस जाती है बाद में तकलीफ झेलती है। इसलिए इसकी कीमत लगाओ और जीते जी मुक्ति-मोक्ष प्राप्त करने का जतन करो।

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